Latest Post
Bhagwan Shiv Ne Ganesh Ka Sir Kyon Kata भगवान शिव ने गणेश का सिर क्यों काटा? जानिए इसके पीछे की रहस्यमयी कहानीखाटू श्याम बाबा khatu shyam baba ji ke bare mein यह जानकारी कही ओर नहीं मिलेगी।Parshuram ji ke pita ka naam kya hai? परशुराम जी के पिता का नाम व उनके बारे में वर्णन |राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद : पात्र और शिक्षाएँ | ram laxman parshuram samvad question answerक्यों किया परशुराम ने अपनी माँ रेणुका का वध? यह थी परशुराम जी की असली सच्चाईभगवान विष्णु का कल्कि अवतार के बारें में। कब और कहाँ लेंगे कल्कि अवतार?परशुराम – विष्णु का क्रोधित अवतार क्यों माना जाता है? परशुराम सेना ब्लॉगभगवान परशुराम का जन्म और उनके माता-पिताहनुमान जी के साथ-साथ इन 8 चिरंजीवी (8 chiranjeevi) को भी मिला था हमेशा अमर रहने का वरदान। जानिए कौन-कौन है चिरंजीवी?भगवान परशुराम का जीवन और विरासत: योद्धा ऋषि

New Update

Main Story

ब्राह्मण एक जाति नहीं, संस्कार है - Parshuram Sena Blog

हिंदू धर्म के संदर्भ में, “ब्रह्म को जानना” का तात्पर्य परम वास्तविकता या सर्वोच्च सिद्धांत, जिसे ब्रह्म के रूप में जाना जाता है , के ज्ञान और समझ को प्राप्त करना है। इसमें वेदों और उपनिषदों जैसे पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करना, तथा ब्रह्माण्ड और स्वयं के साथ गहरा संबंध स्थापित करने के लिए ब्रह्म की प्रकृति पर चिंतन करना शामिल है।

भगवान परशुराम के जीवन की शुरुआत

भगवान परशुराम का जीवन भारतीय पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनका जन्म एक शुभ दिन पर एकवेणी पर्वत पर हुआ था, उनके माता-पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थे। भगवान परशुराम को बुद्धि, साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और उनका प्रारंभिक जीवन इस गुणों को प्रदर्शित करता है। उनकी शिक्षा का प्रारंभ ऋषि-मुनियों के आश्रम में हुआ, जहाँ उन्हें शास्त्रों, युद्ध कला और वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ।

भगवान परशुराम का शिक्षा जीवन उनके चरित्र और कौशल के विकास में महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने शिक्षा प्राप्त करते समय विशेष रूप से धनुर्वेद में महारत हासिल की, जो कि एक योद्धा के लिए आवश्यक था। इसके साथ ही, उन्होंने अपने माता-पिता से नैतिकता और धर्म के पाठ भी सीखे। यह ज्ञान उनके जीवन के पहले चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके आधार पर उन्होंने आगे के कार्यों का निर्माण किया।

भगवान परशुराम के प्रारंभिक जीवन में कई घटनाएँ ऐसी थीं, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व को आकार दिया। उनके पिता, ऋषि जमदग्नि का हत्या का अपमान सहन न कर पाने से, भगवान परशुराम ने क्रोध में आकर क्षत्रिय वंश का उद्धार करने का संकल्प लिया। यह घटना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिसने उन्हें महान योद्धा और धर्मसंरक्षक बनाया। भगवान परशुराम ने अनेक युद्ध लड़े और उन्होंने अपने शत्रुओं का संहार कर धर्म की रक्षा की। इस प्रकार, उनके प्रारंभिक जीवन का अनुभव उनके बाद के कार्यों के लिए एक मजबूत आधार बना।

Parshuram Sena Blog Website ke Madhyam se aap bharat ki sanskriti ke bare  mein, parshuram bhagwan ji se judi manyatavo ke bare me, dharmik and etihasik ghatnao ke bare mme jankari milegi. Jai Parshuram Sena